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NCERT Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 2 Socialism and communism (Hindi Medium)

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समाजवाद एवं साम्यवाद (Socialism and communism)
NCERT Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 2 Socialism and communism (Hindi Medium)
समाजवाद की क्या विशेषताएं थी?
➡️ समाजवाद के उदय का कारण औद्योगिक क्रांति थी। हालांकि इतिहासिक दृष्टि से समाजवाद का विकाश दो चरणों में हुई। मार्क्स के पूर्व का समाजवाद एवं मार्क्स के बाद का समाजवाद यूरोपियन समाजवाद पुराना था। यह समाजवादी आदर्शवादी होते थे। यह समाजवाद कल्पनालोकिय या स्वप्न लोकिय समाजवाद के नाम से भी जाना जाता है। जो व्यावहारिक नहीं थे। वैज्ञानिक समाजवाद वर्ग संघर्ष के माध्यम से उभरा था। इनके विचारवाद प्रतिवाद संश्लेषण पर अधारित था इसलिए एक यथार्थवादी था तो दूसरा आदर्शवादी।

अक्टूबर क्रान्ति क्या है?
➡️ 7 नवंबर, 1917 ईस्वी में बोल्शेविको ने पेट्रोग्राद के रेलवे स्टेशन, बैंक, डाकघर, टेलीफोन केंद्र, कचहरी तथा अन्य सरकारी भवनों पर अधिकार कर लिया। करेंस्की भाग गया और शासन की बागडोर बेल्सोबिको के हाथ में आ गई जिसका अध्यक्ष लेनिन को बनाया गया। इसी क्रांति को बोल्शेबिक की क्रांति या नवंबर कि क्रांति कहते है। इस अक्टूबर कि क्रांति भी कहां जाता है क्योंकि पुराने कैलेंडर के अनुसार यह 25 अक्टूबर 1917 ईस्वी की घटना थी।

खूनी रविवार क्या है?
➡️ 1905 ईस्वी के रूस- जापान युद्ध में रूस एशिया के एक छोटे से देश जापान से पराजित हो गया। पराजय के अपमान के कारण जनता ने क्रांति कर दी। 9 जनवरी 1905 ईस्वी लोगो का समूह प्रदर्शन करते हुए सेंट पिट्सबर्ग स्थित महल की ओर जा रहा था। जार की सेना ने इन निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसाई जिसमें हजारों लोग मारे गए। यह घटना रविवार के दिन हुई, अतः इसे खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है।

पूंजीवाद क्या है?
➡️ पूंजीवाद ऐसी राजनैतिक, आर्थिक व्यवस्था है जिसमें निजी संपत्ति तथा निजी लाभ की अवधारणा को मान्यता दी जाती है। यह सार्वजनिक क्षेत्र में विस्तार एवं आर्थिक गतिविधियों में सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करती है।

शीत-युद्ध से आपका क्या अभिप्राय है?
➡️ शीत युद्ध प्रत्यक्ष युद्ध न होकर वाकद्वंद्व द्वारा एक दूसरे राष्ट्र को नीचा दिखाने का वातावरण है। द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात पूंजीवादी राष्ट्र और रूस के बीच इसी प्रकार का शीत युद्ध चलता रहा।

रूस की क्रांति में पूरे विश्व को प्रभावित किया। किन्हीं दो उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें।
➡️ 1. इस क्रांति ने विश्व को दो विचारधाराओं में बांट दिया।
2. इस क्रांति ने आर्थिक नियोजन का नया प्रारूप प्रस्तुत किया, जिसे पूर्वर्ती देशों ने अपनाना शुरू किया।

क्रांति से पूर्व रूसी किसानों की स्थिति कैसी थी?
➡️ क्रांति से पूर्व कृषकों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। वे अपने छोटे-छोटे खेतों में पुराने ढंग से खेती करते थे। उनके पास पूंजी का अभाव था। वे करों के बोझ में दबे थे। समस्त कृषक जनसंख्या का एक तिहाई भाग भूमिहीन था। उनकी स्थिति अर्ध दासो जैसी थी।

सर्वहारा वर्ग किसे कहते हैं?
➡️ समाज का वह लाचार वर्ग जिसमें गरीब किसान, कृषक मज़दूर, सामान्य मज़दूर, श्रमिक एवं आम गरीब लोग शामिल हो उसे सर्वहारा वर्ग कहते हैं। इस वर्ग के लोगों के पास बुनियादी चीजें भी उपलब्ध नहीं होती।

रूसीकरण की नीति क्रांति हेतु कहां तक उत्तरदाई थी?
➡️ रूस की जनता में यहूदी, पो, फिन, उजबेक, तातार कजाक, आर्मीनियम, रूसी आदि जातियों के लोग थे। इनकी भाषा, रस्म रिवाज आदि भिन्न-भिन्न थे। रूसी बहुसंख्यक होने से सर्वाधिक प्रभावशाली एवं शासक बन गए थे। जार अलेक्जेंडर प्रथम ने के समय से ही रूसीकरण की नीति अपनाई गई। ' एक जार एक धर्म ' का नारा तथा सभी पर रूसी भाषा, शिक्षा एवं संस्कृति थोपने का कुत्सित प्रयास भी जारी था। गैर रूसी जनता का दमन किया गया, संपत्ति जब्त की गई तथा अमानुषिक अत्याचार किए गए। ऐसी स्थिति में जार के प्रति विद्रोही होना स्वाभाविक ही था। इन्होंने भी जार के विरुद्ध आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया।
क्रांति के अनेक कारणों में रूसीकरण की नीति भी एक महत्वपूर्ण कारण थी, किंतु यह पहले से उपलब्ध एक कारण थी न की तत्कालीन कारण।

रूसी क्रांति के किन्हीं दो कारणों का वर्णन करे।
➡️ रूसी क्रांति के दो महत्वपूर्ण कारण निम्नलिखित थे -
1. जार निरंकुशता एवं अयोग्य शासन - यद्धपि 19 वी सदी के मध्य में राजतंत्र कि शक्ति समिति की जा चुकी थी। रूसी राजतंत्र अपना विशेषाधिकार छोड़ने को तैयार नहीं था। जार निकोलस द्वितीय राजा के दैवी अधिकारों में विश्वास रखता था। जार की अफसरशाही अस्थिर और नेतृत्व अकुशल थी। गलत सलाहकारों के कारण जार की स्वेच्छाचारिता बढ़ती गई और जनता की स्थिति बद से बदतर होती गई।
2. कृषक के रूप में मजदूरों की दयनीय स्थिति - रूस की बहुसंख्यक जनता कृषक थी जो अपने छोटे-छोटे खेत पर पुराने ढंग से खेती करती थी। दयनीय आर्थिक स्थिति में भी वे करों के बोझ से दबे हुए थे। मजदूरों को कम मजदूरी में अधिक काम करना होता था। अपनी मांगों के समर्थन में वे हड़ताल में नहीं कर सकते थे। उन्हें कोई राजनैतिक अधिकार प्राप्त नहीं था। इस प्रकार उसने जनता की बदहाली की क्रांति का मुख्य कारण थी।

नई आर्थिक नीति मार्क्सवादी सिद्धांतों के साथ समझौता थी। कैसे?
➡️ नई आर्थिक नीति में कुछ बातें ऐसी थी जो समाजवाद से दूर तथा पूंजीवाद के निकट थी जैसे -
  • किसान अपने अधिशेष उत्पाद का मनचाहा इस्तेमाल कर सकता था।
  • केवल सिद्धांततः तथा जमीन राज्य की थी जो व्यवहारतः तथा किसान की हो गई।
  • 20 से कम कर्मचारी वाले उद्योगों को व्यक्तिगत रूप से चलने का अधिकार मिल गया।
  • उद्योगों का विकेंद्रीकरण कर दिया गया तथा निर्णय और क्रियान्वयन के बारे में काफी छूट दी गई।
  • विदेशी पूंजी भी सीमित तौर पर आमंत्रित हो गई।
  • व्यक्तिगत संपत्ति को मान्यता मिली।
अतः नई मार्क्सवादी आर्थिक नीति मिश्रित अर्थव्यवस्था पर आधारित थी।
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