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NCERT Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 1 Nationalism in europe (Hindi Medium)

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यूरोप में राष्ट्रवाद (Nationalism in europe)
NCERT Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 1 Nationalism in europe (Hindi Medium)
राष्ट्रवाद क्या है?
➡️ राष्ट्रवाद किसी विशेष भौगोलिक, सांस्कृतिक या सामाजिक परिवेश में रहने वाले लोगों के बीच व्यापक एक भावना है जो उनमें परस्पर प्रेम और एकता को स्थापित करते हैं। यह भावना आधुनिक विश्व में राजनीतिक पुनर्जागरण का परिणाम है।

जर्मनी के एकीकरण की बाधाएं क्या थी?
➡️जर्मनी के एकीकरण में निम्नलिखित प्रमुख बाधाएं थीं- (1) लगभग 300 छोटे-बड़े राज्य, (2) इन राज्यों में व्यापक राजनीतिक, सामाजिक तथा धार्मिक विषमता, (3) राष्ट्रवाद की भावना का अभाव, (4) ऑस्ट्रेलिया का हस्तक्षेप, तथा (5) मेटरनिख प्रतिक्रियावादी नीति।

मेटरनिख युग क्या है?
➡️ऑस्ट्रेलिया के चांसलर के रूप में मेटरनिख ने 1815 ई0 से 1848 ई0  तक शासन किया। शासनकाल के दौरान उसने यूरोप की राजनीति में इतनी प्रमुख भूमिका निभाई की इस कालावधि को "मेटरनिख युग" कहा जाता है।

फ्रांस की जुलाई 1830 की क्रांति का फ्रांस की शासन व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?
➡️चार्ल्स दशम के प्रतिक्रियावादी शासक का अंत हो गया।
बूर्बो वंश के स्थान पर आर्येयंस वंश को सत्ता सौंपी गई।
इस वंश के शासक ने उदार-वादियों तथा पत्रकारों के समर्थन से सत्ता हासिल की। अतः उन्हें इन्हें तरजीह दी।

इटली जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रेलिया की भूमिका क्या थी?
➡️इटली तथा जर्मनी के एकीकरण में आस्ट्रेलिया सबसे बड़ी बाधा थी। एकीकरण के पीछे मूलतः राष्ट्रवादी भावना थी और ऑस्ट्रेलिया का चांसलर मेटरनिख और प्रतिक्रियावादी था। उसने इटली तथा जर्मनी में एकीकरण हेतु होने वाले सभी आंदोलन अथवा प्रयासों को दबाया।
मेटरनिख की दमनकारी नीति के प्रतिक्रिया स्वरूप इटली तथा जर्मनी की जनता में राष्ट्रवाद की भावना बढ़ती गई।
ऑस्ट्रेलिया में मेटरनिख के पतन के बाद इटली तथा जर्मनी के लोगों ने एकीकरण के मार्ग का सबसे बड़ी बाधा समाप्त हुआ देख पुनः भारी उत्साह के साथ एकीकरण का प्रयास किया और अंततः सफलता पायी।

1848 के फ्रांसीसी क्रांति के कारण क्या थे?
अथवा 1848 की फ्रांसीसी क्रांति के मुख्य तीन कारणों का उल्लेख करें।
➡️फ्रांस में जुलाई 1830 ईस्वी की क्रांति के पश्चात आर्लेयेंस वंश के लुई फिलिप के उदार-वादियों पत्रकारों तथा पेरिस की जनता के समर्थन से सत्ता प्राप्त की। राजा बनने के बाद लुई फिलिप ने मताधिकार को मध्यम वर्ग तक तो पहुंचा दिया किंतु साधारण जनता को कोई लाभ नहीं मिला।
लुई फिलिप समाज के विभिन्न वर्ग समाज-वादियों, गणतंत्र-वादियों, निरंकुशवादियों आदि सभी को संतुष्ट करने की कोशिश में किसी को भी संतुष्ट नहीं कर सका। यद्यपि लुई फिलिप की नीतियाँ उदारवाद की और अग्रसर थी, किंतु वह स्वयं ऐसा नहीं था। उसने समाज-वादियों के खिलाफ पूँजीपतियों का पक्ष लिया। गणतंत्रवाद के प्रति उसकी प्रतिक्रियावादी नीति तथा दमनात्मक कार्यों ने 1848 ईस्वी की क्रांति को जन्म दिया।

यूरोपीय इतिहास में 'घेटो' का क्या महत्व है।
➡️यह शब्द मध्य यूरोपीय देशों में यहूदी बस्ती के लिए प्रयोग किया जाता था। आज की भाषा में यह एक धर्म, प्रजाति समान पहचान वाले लोगों को दर्शाती है। घेटोकरण मिश्रित व्यवस्था के स्थान पर एक सामुदायिक व्यवस्था थी; जो सामुदायिक दंगे को देशी रूप देते थे।

गैरीबाल्डी के कार्यो की चर्चा करें।
➡️इतिहास गैरीबाल्डी को इटली के एकीकरण के क्रम में दक्षिणी इटली के रियासतों का एकीकरण करने हेतु याद करता है। प्रारंभ में वह मेजिनी के विचारों का समर्थक था, परंतु बाद में काबुर से प्रभावित हो संवैधानिक राजतंत्र का पक्षधर बन गया। गैरीबाल्डी पेशे से नाविक था। उसने कर्मचारियों तथा स्वयंसेवकों को सशस्त्र सेना का गठन कर इटली के प्रांत से सिसली तथा नेपल्स पर आक्रमण कर विजय प्राप्त की। गैरीबाल्डी ने यहां विक्टर इमैनुअल के प्रतिनिधि के रूप में सत्ता संभाली। तत्पश्चात गैरीबाल्डी विक्टर इमैनुअल से मिला और दक्षिणी इटली के जीते गए संपूर्ण क्षेत्र एवं संपत्ति उसे सौंप दी। गैरीबाल्डी ने विक्टर इमैनुअल द्वारा दक्षिण क्षेत्र के शासक बनने के निमंत्रण को ठुकरा दिया और कृषि कार्य करना स्वीकार किया।

मेजनी कौन था?
➡️मेजनी इटली के राष्ट्रपतियों के गुप्त दल ' कार्बोनरी ' का सदस्य था। वह सेनापति होने के साथ-साथ गनतांत्रिक विचारों का समर्थक साहित्यकार भी। 1830 ईस्वी में नागरिक आंदोलन द्वारा में मेजनी ने उत्तरी और मध्य इटली में एकीकृत गणराज्य स्थापित करने का प्रयास किया। इसमें असफल रहने पर उसे इटली से पलायन करना पड़ा। 1848 ईस्वी में मेटरनिख के पराजय के बाद मेजनि ने पुनः इटली आकर इटली के एकीकरण का प्रयास किया। इस बार भी वह असफल रहा और उसे पलायन करना पड़ा।

विलियम-1 के बगैर जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क के लिए असंभव था कैसे?
➡️विलियम प्रथम का यह दृढ़ विश्वास था कि प्रसा के सुदृढ़ राजतंत्र के नेतृत्व में ही जर्मनी का एकीकरण संभव है। विलियम-1 राष्ट्रवादी विचारधारा का था। उसके द्वारा जर्मनी में औद्योगिक क्रांति में तेजी लाने एवं आधारभूत संरचनाओं को सुदृढ़ करने के फलस्वरूप जर्मनी राज्य एकता के सूत्र में बंधते गए।
जर्मनी के एकीकरण के मार्ग में बाधक बन ऑस्ट्रेलिया से मुकाबला हेतु सुदृढ़ सैन्य शक्ति की आवश्यकता थी, जिसके लिए विलियम-1 हमेशा तत्पर रहा। विलियम प्रथम ने एकीकरण के उद्देश्य को ध्यान में रखकर अपने प्रशासन हेतु योग्य व्यक्तियों का चयन किया था। इसी क्रम में उसने महान कूटनीतिज्ञ बिस्मार्क को अपना चांसलर नियुक्त किया।
विलियम प्रथम ही वह व्यक्ति था जिसने बिस्मार्क को जर्मनी के एकीकरण जैसा महत्वपूर्ण कार्य करने का अवसर प्रदान किया तथा हर कदम पर उसे समर्थन भी दिया। अन्यथा बिस्मार्क के लिए यह उपलब्धि हासिल कर पाना असंभव था।

यूरोप में राष्ट्रवाद के फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट किस तरह सहायक हुआ? अथवा, यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में नेपोलियन बोनापार्ट की क्या भूमिका थी?
➡️यूरोप में राष्ट्रवाद फैलाने में नेपोलियन की महत्वपूर्ण भूमिका थी। उसने इटली और जर्मनी के राज्यों को भौगोलिक नाम की परिधि से बाहर कर उसे वास्तविक तथा राजनीतिक रूपरेखा प्रदान की जिससे इनके एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ। नेपोलियन के प्रभुता तथा उत्कर्ष से अन्य राज्य अपनी अपनी रक्षा का पूर्ण प्रबंध करने लगे इससे उनमें आपसी एकता और राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ। नेपोलियन के नेतृत्व में इटली के विभिन्न भागों से एकत्र सेना में परस्पर प्रेम एवं सहानुभूति की भावना जगी। इटली में नेपोलियन के संगठित शासन की प्रगति हुई। इटली विभिन्न राज्यों में बांटा राष्ट्र के रूप में महसूस किया गया। नेपोलियन ने जर्मनी के 300 से अधिक स्वतंत्र राज्यों के स्थान पर उन 39 राज्यों का संघ बनाकर जर्मनी की जनता में राष्ट्रवाद का भाव भरा।
इस प्रकार नेपोलियन के कार्य यूरोप में राष्ट्रवाद को फैलाने में सहायक रहे।
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